शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था! शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था!
श्री शुकदेव जी कहें, हे राजन भगवद्भक्त थे राजा भरत बड़े ! श्री शुकदेव जी कहें, हे राजन भगवद्भक्त थे राजा भरत बड़े !
उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा। उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा।
अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए। अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए।
शरीर छोड़ दिया डुबोकर आधा अपने को, गण्डकी के जल में। शरीर छोड़ दिया डुबोकर आधा अपने को, गण्डकी के जल में।
आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव।। आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव...